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लेखनी प्रतियोगिता -01-Dec-2022 जिंदगी के सफर में

जिंदगी के सफर में 


"आपकी कसम" मूवी का एक गाना जिसे सुप्रसिद्ध गीतकार आनंद बक्षी साहब ने लिखा था और महान गायक किशोर कुमार साहब ने गाया था "जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मकाम , वो फिर नहीं आते"  फिल्म जगत में मील का पत्थर बन गया ।
यह गीत लोगों की जबान पे इतना चढा कि उतरने का नाम ही नहीं ले रहा जबकि यह मूवी सन 1975 में आई थी । जीवन के साथ जुड़े पहलुओं को इस गीत ने बहुत बढिया ढंग से प्रस्तुत किया था । पर अब एक समस्या पैदा हो गई है । जिस दरी पर बैठकर जो पत्तलकार सुबह से लेकर देर रात तक "योगा" मतलब गंदगी फैलाया करते थे उनके नीचे से अब वह दरी ही खिसक गई । जब तक नीचे दरी बिछी हुई थी, उन्हें पता ही नहीं था कि वे तो गंदगी के पहाड़ पर बैठकर "स्वच्छता" मिशन चला रहे थे । "भेडिया आया, भेडिया आया" का राग अलाप रहे थे । स्वंय "मालकिन" की गोदी  में बैठकर "गोदी मीडिया गोदी मीडिया" चिल्ला रहे थे । अब वे सभी "पत्तलकार श्री" सदमे में हैं और एक बहुत पुराना गाना फिल्म "अमर प्रेम" का गुनगुना रहे हैं 

ये क्या हुआ 
कैसे हुआ 
कब हुआ 
क्यों हुआ 

बेचारे वामपंथी , कामपंथी, दामपंथी, पुरुस्कार पंथी, लिबरल पंथी, सेकुलरपंथी सब के सब सदमे में हैं । जैसे हर भारतीय भारत मां को अपनी मां मानता है वैसे ही हर सेकुलर , लिबरल , ऐजेण्डाबाज, बुद्धूजीवी, चमचा , NDTV को अपना मालिक , भगवान मानता है । पर हाय रे दुष्ट मोदी ! ये तूने क्या किया । इनके नीचे बिछी हुई दरी ही खींच ली ! अपने चेले गौतम अड़ानी से कहकर NDTV को ही खरीद लिया । "ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी" । माना कि "तू" दुष्ट था पर इतनी दुष्टता की उम्मीद नहीं थी तुझसे । सामने से वार नहीं कर पीठ पीछे से किया है । अपने चेले "अडानी" से करवाया है । 
पर एक बात और है । ये लोग बिकाऊ थे क्या ? ये तो सच्चे पपत्तलकार थे न ? फिर बिक क्यों गये ? इसका मतलब यह हुआ कि ये लोग बिकाऊ थे तभी तो इन्हें खरीदा गया नहीं तो किसमें इतना दम है जो "सत्यवादियों" को खरीद ले ?  पर ये तो कहते थे कि "सच्ची पत्तलकारिता" बस ये ही करते हैं । इसी को तो "दोगलापन" कहते हैं शास्त्रों में । कुछ समझे विनोद ? 

"दिल दिया दर्द लिया" फिल्म का एक गाना है "दिलरुबा मैंने तेरे प्यार में क्या क्या ना किया" की तरह इन लोगों ने भी अपनी "मालकिन" के इशारे पर क्या क्या ना किया किसी को "मौत का सौदागर" , "खून का दलाल" ,"हिटलर" और न जाने क्या क्या नहीं कहा । संघ को आतंकवादी संगठन तक बता दिया । मोदी विरोध में इतने पगला गये कि देश विरोध पर उतर आये और पाकिस्तान तथा चीन की गोदी में जाकर बैठ गये । 
गोदी से याद आया कि ये लोग "गोदी मीडिया" का शोर क्यों मचा रहे थे ? अरे भाई, चोर को सारी दुनिया चोर नजर आती है कि नहीं ? जो व्यक्ति खुद किसी की गोदी में बैठा हो तो उसे चारों ओर "गोदी मीडिया" ही दिखाई पड़ेगा ना । 
अब "क्रांतिकारी पत्तलकार", "असत्य हिन्दी पत्तलकार", "सू सू पत्तलकार" , राजीव शुक्ला का चेला नंबर 1 पत्तलकार और भी जितने "खलिहर", बेरोजगार पत्तलकार जो आजकल यू ट्यूबर बनकर अपनी "भड़ास" सोशल मीडिया पर निकाल रहे हैं , बहुत खुश नजर आ रहे हैं । उनकी जमात में अब सर्वश्रेष्ठ पत्तलकार श्री श्री 1008 , बकैती विशेषज्ञ बकैत कुमार भी आ गये हैं । सुना है कल उन्होंने NDTV से इस्तीफा दे दिया है । कोई दूसरे चैनल की इतनी औकात कहां जो इन जैसे "घोर लफ्फाज" को अपने यहां काम दे सके ? और फिर सारे चैनल तो "बिके हुए" हैं जी इसलिए अब इन महाशय के पास भी और कोई विकल्प नहीं बचा है सिवाय यू ट्यूबर बनने के । सुना है कि कल से ही ये यह गाना गा रहे हैं 
मैंने तेरी चमचागिरी में क्या क्या ना किया मालकिन 
रोज दी गाली पी पीकर "जिन" । 

अफसोस तो इस बात का है कि अब "भारत तोड़ो यात्रा" को कौन कवर करेगा ? बड़े बेवफा निकले वो , जिनसे वफा की उम्मीद थी । अरे, अगर खरीदना ही था तो दो चार महीने बाद खरीद लेते तो क्या कोई फर्क पड़ जाता ? कम से कम "भारत तोड़ो यात्रा" तो पूरी हो जाने देते ? पर हाय रे दुष्ट मोदी ! तुझसे इतना सा भी सुख नहीं देखा गया ? "रावण" तो तुझे बता ही दिया था , लगता है कि अब कंस भी बताना पड़ेगा । एक मिनट , कंस तो कोई और बता चुका है ना और वह भी गुजरात जाकर । अच्छा , श्रीकृष्ण का एक नया अवतार जो हुआ है अभी थोड़े दिनों पहले । "कट्टर ईमानदारी" का चक्र हाथ में लेकर । अब विपक्ष कहां जाकर रोना रोयेगा ? एक वही तो झुनझुना था जिसे जब चाहे बजा सकता था विपक्ष  । पर इतनी सी खुशी भी रास नहीं आई । यह लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात है । अब विपक्ष की गालियों के लिए मंच कहां मिलेगा ? 

सुना है कि आजकल सोशल मीडिया पर बकैत कुमार और उसके फैन्स के बीच फिल्म "करण अर्जुन" के एक गाने की तरह चैटिंग चल रही है 
बकैत कुमार  : जाता हूं मैं 
फैन्स  : जल्दी है क्या 
बकैत : धड़के जिया 
फैन्स  : वो क्यूं भला 
बकैत : गोदी से डरने लगा हूं , इसलिए भाग रहा हूं 
फैन्स : गोदी से इतना डरोगे तो पत्तलकार कैसे रहोगे ? 

जिंदगी के सफर में ऐसे अनेक हादसे होते आये हैं । आइये ऐसे हादसों का भी आनंद लें और आज के दिन बकैत कुमार जैसों की पत्तलकारिता के नाम जश्न मनाऐं  । 

श्री हरि 
1.12.22 


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10 Comments

Gunjan Kamal

05-Dec-2022 07:33 PM

बहुत खूब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

06-Dec-2022 12:34 AM

💐💐🙏🙏

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Abhinav ji

02-Dec-2022 07:49 AM

Very nice👍👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

06-Dec-2022 12:34 AM

💐💐🙏🙏

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Sachin dev

01-Dec-2022 05:14 PM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

02-Dec-2022 01:16 AM

धन्यवाद जी

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